लापरवाही..
लापरवाही..
"बेटा तू कहां अमेंरिका मेंं जाकर बस गया है। कोरोना की कितनी बिमारी फैल रही है वहाँ!" सविता जी ने अमेंरिका में रह रहे बेटे अनुज से फोन पर कहा।"हाँ माँ आज आफिस भी बंद हो गया घर से काम करेगें। अब तो फ्लाइट भी बंद होने वाली है सुना है !"
" हाँ बेटा, यहाँ गाव आ जा कोई परेशानी नहीं ।शहरो के कोई नहीं आते तो सब सही।"
" हाँ माँ आज ही कराई फ्लाइट हैदराबाद आपने फ्लेट का कुछ काम है बस दो दिन में गाँव ही आ जाएगे । गाँव से सुरक्षित कुछ नहीं। जरूरी सामान लेता आऊँगा बच्चो के खाने पीने का।"
"ले अपने पापा से बात कर।"
" नमस्ते पापा।" ,"देख मनोज अपना चैकअप कराके आना। हो सके तो वहीं रहो।"
"क्या पापा सब बुला रहे है आप मना कर रहे हो।" गुस्से में अनुज बोला।
"सुरक्षा घर में ही है बेटा । रास्ता बहुत लम्बा है।"
" पापा हमें पता है कि हम सही हैं। आप चिंता नहीं करो । टिकट करा दिए हैं। भारत अपना देश सुरक्षित है यहाँ कोई नहीं ध्यान रखने वाला।"
" अच्छा ठीक है, ध्यान से आना। चिंता की बात है कोरोना, सावधानी जरूरी।"
मास्क ,सैनिटाइजर भी लेकर आकर ।"
" हाँ हाँ पापा जरूर। वैसे मुझे कोई बुखार नहीं ना खाँसी ,गले में जकडन ,या साँस लेने में परेशानी।"
" हाँ हाँ भगवान करे ना हो । फिर भी बताना हमारा फर्ज है।"
" अच्छा पापा जल्दी मिलते हैं। तुम भी कैसी बात करते हो ऐसा लग रहा है बुलाना नहीं चाह रहे। सविता ने फोन लेते हुए कहा। "अच्छा बेटा जल्दी आ जाओ।"
फोन रख दिया। मनोज जी सविता पर गुस्सा करने लगे "मना नहींं कर सकती थी आने को।मेंरी बात बुरी लग जाती है उसे फिर भी कहा। सुरक्षित वहीं है वो।"
"रह
ने दो विदेश से सभी आ रहे हैं अपना घर सबसे अच्छा होता है।" दुविधा में दोनो की दूर रहे बच्चे त़ो दिल नहीं मान रहा, पास आऐ तो खतरा कोरोना बीमारी का।
अगले दिन अनुज परिवार सहित हैदराबाद पहुँचा। अपने फ्लेट पर गया जो किराए पर था । उनसे मिलकर कुछ जरूरी कागजात हस्ताक्षर लिए। होटल में खाना खाते रहे सब। सुपर मार्केट गये । खाने का जरूरी सामान लिया बच्चो को अमेंरिका की आदत है बिना कार्नफ्लेक्स के , जैम और भी बहुत सामान के बिना आदत नहीं रहने की। ये सोचकर खरीदा । दूसरा ही दिन था । अमेंरिका से आए। अगले शाम को ही गाँव के लिए चल दिए।
गाँव पहुँचते ही सब मिलने आए पड़ोसी । सविता जी और उनके पति मनोज खुश थे ,बच्चों के साथ इस बहाने रहने को ज्यादा दिन मिलेगें।
दो दिन बाद ही हल्का सा बुखार अनुज को लगा । तुरंत मनोज जी ने बेटे को चैकअप के लिए कहा। "क्या पापा मुझे था ही नहीं ना मै किसी के सम्पर्क में रहा।"
" बेटा पता नहीं चलता है। रास्ते में कितने होटल ,बाजार टैक्सी कोई भी परेशानी में डाल सकता है। "
गुस्से में अनुज चला गया सभी को लेकर । वहाँ पता चला सभी कोरोना टेस्ट पोजिटिव आया । स्वास्थ्य विभाग को जानकारी पहुँचा दी गयी ,हास्पिटल से। सभी सर्तक हुऐ।
सारी लिस्ट बनाई। एयरपोर्ट से किरदार, होटल वाले ,टैक्सी ,गाँव वाले बहुत लोग इस बिमारी की चपेट में आ गये। कुछ को संक्रमण नहीं हुआ।सबको अलग रख कर इलाज किया गया। कुछ को हास्पिटल रखना पडा। पर सब सही हो गये समय से पता चलने पर ।
सविता जी के प्यार की वजह से अनुज की एक लापरवाही ने ना जाने कितने लोगो को परेशान कर दिया। समय रहते मनोज जी की समझदारी से सब सही भी हो गये ।