Anshu sharma
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("सोच धरा की") कहते हैं सब खुशमिजाज बुराई को करती नजर अंदाज, सादा  जीवन उच्च विचार , सकारात्मकता जीवन का सार, नकारात्मकता से रहती दूर, अपनों का प्यार पाती भरपूर, दोस्तो को समझती अपना , नाम है मेरा अंशु शर्मा

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कभी कभी रिश्ते ऐसी मोड पर आते है कि कुछ भी समझाने का कोई मतलब नही होता क्योकि सामने वाला कुछ समझना ही नही चाहता ।समझदारी इसी मे है कि वो बाते लिफाफे मे ,बंद पत्र की तरह रख दी जाये जो कभी भी भेजा ना जाए। अंशु शर्मा

कहते हैं सब खुशमिजाज बुराई को करती नजर अंदाज सादा  जीवन उच्च विचार सकारात्मकता जीवन का सार नकारात्मकता से रहती दूर अपनों का प्यार पाती भरपूर दोस्तो को समझती अपना नाम है मेरा अंशु शर्मा

बीत गई सो बात गई, यह खुशियों का है मंत्र पकड़ बैठे जो बीती बातें ,करती रहेंगी तंग कल की खुशी चली गई ,आज को कर दिया उदास कल का क्या भरोसा, फिर तू क्यों है उदास अंशु शर्मा

हाथ से फिसलता समय, लौट कर नहीं आयेगा रिश्ते छूट जायेगे ,ना कोई साथ जायेगा अच्छे कर्म करले बंदे ,पाप की गठरी छोड़ दे माया मोह कुछ नहीं तेरा ,सब मिट्टी में मिल जायेगा । ......अंशु शर्मा

बारिश की छोटी छोटी बुदें ,जब मिट्टी में पड़ती है । तब मिट्टी की खुशबू ,आपके मन को खुश कर देती है । लगता है बारिश का संगीत, अंतरात्मा को सुकून दे रहा है। अंशु शर्मा

उम्र बढ़ने के साथ जिंदगी का अनुभव भी बढ़ता है। बड़ों की राय हमेशा लेनी चाहिए । अंशु शर्मा

कल्पना की उड़ान ,होंठों पर मुस्कान ,सतरंगी बादलों की तरह भीनी भीनी खुशबू लिए, जिंदगी के हर एक पल को महसूस करती हुई , रिमझिम बारिश की बूंदों सी ....."खुशियां, "मेरी जिंदगी को संवारती हुई बस और क्या चाहिए बस इतना सा ख्वाब है.......... अंशु शर्मा

आजकल सब अपनी बात ही ऊपर रखना चाहते हैं ......कि मै जो करता हुं ,सबसे अच्छा वही है।वो ही सामने वाले को करना चाहिए। अंशु शर्मा

जरा सी बात थी और बड़ी बन गई नासमझी जरा सी ,मन मे घर कर गई गलतफहमियों ने ,मन मे कर दी खट्टास भूल गये ,मधुर यादो की मिठास बातें सुलझाने की जगह ,बात और उलझ गई जरा सी बात थी और बड़ी बन गई मौलिक रचना अंशु शर्मा


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