Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Modern Meera

Romance

2  

Modern Meera

Romance

बावली

बावली

3 mins
3.0K


लड़ रहा है 

द्वंद ह्रदय 

कांपता हर 

अंग है 

जीत में भी 

हार ही है 

जीवन वही 

कुरक्षेत्र है 


बोल क्या बोलूं? क्या सुनना चाहता है? तू तो बावला है ही, जनम से। जानती नहीं क्या मैं? तुम्हें क्या लगता है, तू कहेगा और मैं मान लूंगी की तू मुझे भूल गया। कहते कहते, धकेले जा रही है मधू।

और चेहरे पे अपनी शैतानी भरी मुस्कान लिए वीर, अपने सीने पे उसके वार लिए जा रहा है। 

“बोल न, चुप क्यों है? बोल अब बोल, ले आ गयी मैं, हो गयी तसल्ली? यही चाहता था न? “

आँखों से लगातार आँसू बहे जा रहे हैं, और चूड़ियों से भरे हाथ बरसे जा रहे हैं। 

अब, दोनों कलाईयों को दोनों हाथों से रोक लेता है वीर। साँसे रुक गयी है दोनों की। 


एक आखिरी बून्द अभी भी पलकों के कोने पे रुकी हुयी है। दोनों हाथ फँस गए है वीर के इसलिए उसे होठों से पोंछने के अलावा कोई रास्ता नहीं। आँसू तो वो देख नहीं सकता मधु की आँखों में। मधु आंखे बंद कर लेती है। लेकिन बस उसका वो आखिरी आँसू अपने होठों में कैद करके ठिठक जाता है वीर, वापस वही हँसी। मधु आंखे खोलती है, और मुठ्ठियों की कसमकस वापस। 

बावली, तू है या मैं? हालत देखी है अपनी? बारात तेरे दरवाज़े पे है, तेरी गीली मेंहदी मेरी साँसों में महक रही है और तेरे होठ अभी भी आधे खुले है। मैं बावला होता तो क्या तू अभी भी दुल्हन के जोड़े में मेरी कुटिया में खड़ी होती? 


“क्या करूं मैं? कैसे बन जाऊँ किसी और की? “

“किसी और की? किसकी है तू? पहले ये तो बता।”

ख़ामोशी सदियों तक लंबी फैल जाती है, इस छोटे से कमरे में जो वीर ने किराए पे ले रखा है। 

“आठ दिन हुए आज, कार्ड रख गयी थी तू मेरे सामने। न कुछ पूछा न बोला, अब बोल...किसकी है तू? “

मधु की चुप्पी नहीं टूटती।

“नहीं बोल सकती तो जा वापस और सो किसी और के साथ सारी जिंदगी, और याद रखना मैंने पूछा था।" 

 

दोनों कमरे में खड़े है, आमने सामने। मधु की सहेली रीता ने आज दोपहर बताया उसे की वीर ने अपना घर छोड़ दिया और कह दिया अपने घर को की जब तक मधु की डोली किसी और के आँगन नहीं उतरती वो कहीं न कहीं उसके लिए एक आँगन बनाकर इंतज़ार करेगा। लेकिन, आना पड़ेगा मधु को, वो नहीं जा रहा उसके घर लूटे हुआ आशिक बनकर गैस का सीलिडेर बदलने। 


जैसे ही मधु की छोटी बहन ने भागकर उसके कमरे में पैर रखा और कहा “दीदी बारात आ गयी है“ उसकी सांस ही रुक गयी। 

घर की सारी औरतें रस्मो में लग गयी और खाली पैर दुल्हन के जोड़े में मधु भागती हुयी यहाँ आ पहुंची है। 

मधु ने देखा एकबार कमरे को, एक छोटा सा बिस्तर , जमीन पर ही, अस्त वयस्त चादर , एक कोने में छोटा सा बैग जिससे बेतरतीब कपड़े बिखरे है चारों ओर। एक कोने में छोटा सा सिंक जिसपर ब्रश और टूथपेस्ट। किचन का पता नहीं कही। 


उठकर सिंक तक गयी, आईने में देखा खुद को, पीछे वीर का उतरा सा चेहरा और सवाल ठीक वैसे खड़ा था अभी भी। 

एक घड़ी को मधु देखती रही वीर की ओर, फिर आगे बढ़कर कमरे की सांकल लगायी। 

“इस जनम में तो न बोलूंगी की मैं किसकी हूँ पर तू तो मेरी ही जायदाद समझ ले, ऐसे ही न छोड़ दूँ कब्ज़ा मैं“

कहते कहते मधु उसके गले लग गयी, और सीने में भर लिया वीर ने। 


“जा तू ही जीती, तू ही सबसे बड़ी बावली”

उधर शहनाईयों की आवाज़ धीमी हो रही थी, इधर इनके धड़कनों की रफ़्तार तेज़।


Rate this content
Log in

More hindi story from Modern Meera

Similar hindi story from Romance