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केसरिया उमापति

Romance

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केसरिया उमापति

Romance

तू ही बता पिया

तू ही बता पिया

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ये जो दर्द है, क्यों घटता नहीं,

ये जो ख़्वाब है, क्यों छंटता नहीं?

अब तू ही बता पिया, मैं क्या करूं?


भोर की उल्लासी हो, या गोधूलि की उदासी,

शहर का शोर हो या नज़रों की खामोशी,

तेरी जो बेरुखी है क्यों मिटती नहीं?

अब तू ही बता पिया...


बेफिक्र सा इश्क़ हो,या बहता हुआ अश्क,

नर्म सी चाहत हो, या पाषाण सा दिल,

ये जो इंतहा है, क्यों सिमटती नहीं?

अब तू ही बता पिया...


धड़कता हुआ दिल हो, या बुझी हुई आस

लरजते हुए होंठ हों, या बिखरी हुई सांस।

ये जो अहसास है क्यों जाती नहीं ?

अब तू ही बता पिया मैं क्या करूं ?

अब तू ही बता पिया मैं क्या करूँ? 


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