ये कोरोना काल है!
ये कोरोना काल है!
कैसा है ये मंज़र, ये कैसा बवाल है?
बिना मुँह ढँके निकल सके कोई,
क्या किसी की मजाल है?
सड़कें हैं सूनी, बाजार हैं वीरान,
सभी हैं डरे- सहमे, हलक में है प्राण!
सभी दुबके हैं घरों के भीतर,
जन्तु निकले हैं सड़कों पर,
बंद हुआ तीज त्योहार सब,
बंद हुई आरती, बंद हुआ अजान।
इंसानों का जीना हुआ मुहाल है,
ये कोरोना काल है, ये कोरोना काल है!
रोटी ने उन्हें देस छुड़ाया,
भूख ने उन्हें काम दिलाया,
चल दिये देस पैदल ही वे,
जब कोरोना ने उनका काम छुड़ाया।
कोई पटरी के नीचे आया,
कोई आ गया गाड़ी के नीचे,
इस पर बेरहम ये राजनीति,
जाने गिरेगी कितनी नीचे!
किसी का दिल नहीं दहला?
किसी की आह ना निकली!
सब पूछते ये सवाल है,
ये कोरोना काल है, ये कोरोना काल है!
जो लगाए हैं जान की बाजी,
सिर्फ हमें बचाने में,
तुम्हें ज़रा शर्म नहीं आई,
उन्हें पत्थर मार भगाने में?
रे मूर्ख! ना पूछ कि इनसे तेरा क्या रिश्ता है,
सड़कों पर खाकी पहने,
वार्डो में सफेद कोट वाला ही तेरा फरिश्ता है!
तूने जो बवाल काटा, तूने जो नीचता दिखाई,
और तूने जो गुस्ताखी की है,
इसका जरा भी तुझे मलाल है?
ये कोरोना काल है, ये कोरोना काल है!
