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Rajeshwar Mandal

Romance

4  

Rajeshwar Mandal

Romance

रूमाल

रूमाल

2 mins
608


  मैरुन  रंग  का  खास  रुमाल

  जिसे रखा हूँ बरसो से सँभाल

  बड़ी प्यार से दी थी जो रोते-रोते

  अब जीर्ण हो चुकी है वो धोते-धोते 

  मध्य भाग में अश्क का दाग और 

  एक कोने पर तेरा सुनहरा नाम 

  अभी भी है दिलाती याद 

  कि तुम मेरी कभी थी खास।


  कभी तेरे नैन से 

  मैं सपना देखा करता था 

  कभी मेरे नैन से 

  तुम ख्वाब देख लिया करती थी 

  गुफ्तगू में दिन बितती थी

  रात गुजरती थी यादों में 


  बैठ एकांत शहर किनारे 

  दिल बहलाता वादो में।

  एक-दूजे का गुणगान ही

  जीवन का सार था 

  बाकी लोगों से क्या रिस्ता नाता

  तुम्हारे सिवाय 

  सारा शहर बेकार था।


  कल्पनाओ का स्वंयवर रचते

  एक दूजे की मनशाला में 

  अश्रूकण की मोती पिरोते 

  ख्वाबों  की वरमाला में 

  दृश्य सोच भाव विभोर हो जाता 

  तन मन तरंगित हो उठता था 

  पर सुन प्रतिलोम बात तुम्हारी

  दिल में कभी कभी टिसटा था।


  कभी हंसाती कभी रुलाती 

  अकल्पनीय रास रचाती थी 

  बिन पंजीकृत अंगीकृत होती

  रोम रोम पुलकित हो जाती थी 

  कहीं जुदा न हो जाऊँ एक दिन 

  एक अनचाहा भय भी सताती थी 

  पर दरकिनार कर उन बातों को 

  सीने से वो लग जाती थी। 


  कल्पना करते थे मिलन की 

  कल्पना करते थे विरह की

  कल्पना करते थे सगाई की

  कल्पना करते थे विदाई की 

  पर कल्पना कल्पना में ही 

  अकल्पित बात हो गई 

  मतभेद की एक छोटी बिंदू 

  मनभेद की लकीर खींच गई 

  बात बढ़ी और बढ़ती ही गई।


  कुछ अहम की बात 

  कुछ वहम की बात 

  उससे भी ज्यादा 

  मनगढ़ंत सी बात 

  हम दोनों में होने लगी 

  आरोप प्रत्यारोप की जब दौर चली

  तब चौका छक्का भी लगने लगी

  हुआ मन खिन्न अति 

  घृणा भी धीरे धीरे होने लगी।


  हार की बाजी खेले थे जिनके संग

  आज उसी से जीत जाना था 

  होना था अब दूर किसी से 

  तो उसे अब कहां मनाना था। 

  पल प्रतिपल

  नेत्र सजल हुआ करती थी जिसकी

  उन आँखों में आज गुस्सा था 

  मुड़ कर भी न देखी एक बार 

  दृश्य ही कुछ वैसा था।


  बरसो बाद आज बाजार में 

  अनायास वो टकरा गई 

  सहचर था साथ उनके 

  फिर भी वो मुस्कुरा गई 

  पा सम्मुख उनको

  हृदय में एक हुक सी उठी

  स्मृति पटल पर एक रेखा खींची 

  और आँखें बरबस नम हुई 

  हो हमसफ़र से ओझल 

 चुपके से एक रूमाल थमा गई।


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