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Rajeshwar Mandal

Others

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Rajeshwar Mandal

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सोहबत

सोहबत

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  अब रोज नहीं आते

  जो आया करते थे 

  हर सुबह हर शाम 

  शुभ संध्या शुभ प्रभात 

  शायद 

  मोबाइल गुम हो गया होगा


  छाती धक-धक 

  मन में एक कशमकश 

  आते न देख संदेशा 

  मन में कई तरह का अंदेशा 

  फ़ोन लगायी

  ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग

  नहीं कोई उत्तर 

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  देर रात 

  फोन आया

  बहुत व्यस्त था

  मालिक समक्ष था

  ये आखिरी फोन है

  अब मत करना 

  तुम्हारी सोहबत में 

  बर्बाद हुआ 

  इस कदर 

  आज मजदूर हूं 

  कलकत्ते में 

  मुझे मुक्त कर 

  एक उपकार कर 

  बजर गिरे 

  तुम्हारे प्यार पर।



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