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Rajeshwar Mandal

Others

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Rajeshwar Mandal

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टकले

टकले

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जब मैं बच्चा था

लोग कहते हैं सुंदर था 

देह से गोल मटोल

और बाल घुंघराला था 

नयन नक्श से बेटा था 

पर मां की नजरों में बेटी थी

कभी चोटी बांधती 

कभी बाली पहनाती 

आंखों में लेप काजल 

ललाट पर लट उलझाती


जैसे जैसे बड़ा हुआ 

तोंद बढ़ कर घड़ा हुआ 

सिर से अब टकले है

कार्य बोझ से गदहे है

हाय री खेल विधाता 

एक ही सफर में क्या क्या देखा ।



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