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Rajeshwar Mandal

Others

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Rajeshwar Mandal

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पुरुष कब रोया होगा

पुरुष कब रोया होगा

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दुनिया से जीता होगा

अपनों से हारा होगा

टूटा होगा बिखरा होगा

बिखरे को जैसे तैसे

खुद से खुद में समेटा होगा

फिर भी बिखरा बिखरा होगा 

टूटने से पहले आदमी मरा होगा 

फिकर हुई होगी जब अपनों की

फिर मर न पाया होगा अंततः 

तब जाकर पुरुष रोया होगा ।



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