मुझसे, उसका एक सवाल
मुझसे, उसका एक सवाल
मुझसे अक्सर
वो एक सवाल करती है
आंखों से अपने बयां करती है,
तुम्हें मुझमें क्या पसंद है
मैं तुम्हें कैसी लगती हूं?
सवाल सीधा मगर
गहराई से भरा है
जवाब में मेरे भी
ढेर सारा प्यार छिपा है,
कि बस
तुम पसंद हो मुझे
तुम्हारी हर बात पसंद है,
तुम्हारी नजाकत मुझे
ये हया पसंद है,
तुम्हारा पायल छनकाना
यूं चूड़ियां खन खनाना,
हिरनी सा चलकर
तुम्हारा यूं लजाना
मुझसे बस खामखा लिपट जाना,
मुझे सब पसंद है
मुझे तुम पसंद हो।
कभी मुझे कनखियों से देखना
फिर मुंह बनाना,
कभी उदास हो
कांधे पे सर रख देना
हर दर्द में सुबक सुबक रोना,
मुझे सब पसंद है
मुझे तुम पसंद हो।
सुबह की चाय में
बैठ मेरे साथ गपशप करना,
कभी पानी के छींटें मार
मुझसे शरारत करना,
तितलियों सा हरदम
पास मेरे मंडराना
जरा सी बात पर
डर कर सहम जाना,
मुझे देख फिर आहें भरना
फिर हौले से मुस्कराना,
सच मुझे सब पसंद है
मुझे तुम पसंद हो।
मेरा अक्सर तुझे
यूं बांहों में लेना,
तेरा भी कसकर मुझे
जोरों से भींच देना,
फिर तेरा खिलखिला के हंसना
मेरी आंखों को चुपके से मीच देना,
मुझसे इधर उधर की बात करना
चुपके से अखबार खींच देना,
कहना सारा दिन
यूं अखबार किताबों में
ही चिपके रहते हो,
खुद से खुद में ही
उलझे रहते हो,
कभी वक्त हो
तो एक नजर भर
इधर भी देख लो
घड़ी दो घड़ी बैठ
हमसे भी बात कर लो,
सहलाओ फिर मेरी
इन काली लटों को
चूम कर होंटो को मेरे
तुम पश्मीना कर दो,
सच तेरी ये बातें
मुझे बहुत भाती हैं
तेरी ये नादानियां
मुझे गुदगुदाती हैं,
तेरी सादगी का मैं दीवाना हो चला हूं
तेरी मासूम अदाओं का मैं
कायल हो चुका हूं
इसलिए तू पसंद है
तेरी हर अदा पसंद है
मुझे सब पसंद है
मुझे तुझ में हर बात पसंद है।

