फिर वही मोहब्बत कहां से लाएं
फिर वही मोहब्बत कहां से लाएं
हमने तो वफ़ा निभाई थी मोहब्बत में फिर क्यों दूर हुए,
बदली तो तुमने राहें और कह दिया हम मगरूर हो गए,
मेरी जिंदगी में एक मोहब्बत ही तो थी वज़ह जीने की,
और उस वजह को ही तुम जिंदगी से दूर लेकर चले गए।।
अब जिंदगी के इस मोड़ पर जहां बहुत आगे निकल गए,
तो तुम्हारे एहसासों के दीए फिर से क्यों दिल में जल उठे,
क्यों इस दिल को बेचैनी सी हो रही है तुम्हारे लौट आने की,
मुद्दतों से किया इंतजार तुम्हारा पर तुम लौट कर ना आए।।
अब तो इंतजार के आंसू भी मेरी पलकों में आकर सूख गए,
खूबसूरत जो यादें थी वो कतरा-कतरा दर्द बनकर समा गए,
अब फिर से उन कसमों, वादों पर विश्वास करना मुश्किल है,
जब वक्त था साथ निभाने का तुम हर वादे से मुकर गए।।
मोहब्बत तो बेइंतहा आज भी हम करते हैं और करते ही रहेंगे,
पर रूबरू होने से डरते हैं क्योंकि हम तुमसे कुछ कह न सकेंगे,
क्या कहें, क्या सुनें, हमने तो मान लिया था कि तुम नहीं आओगे,
अब तुम्हारे आने की खबर से सीने में दफन सारे जख्म उभर गए।।
प्यार वो गुलाब है जो अपनी खुशी से जीवन महका जाए,
मेरे नसीब में तो प्यार के नाम पर सिर्फ कांटे ही कांटे आए,
अब तुम्हें मोहब्बत का एहसास हुआ और लौटना चाहते हो,
पर हम फिर वही मोहब्बत, फिर वही जज़्बात कहां से लाएं।।
फिर से वही ख्वाब, वही वादे, वही कसमें क्या लौटा सकते हो,
लौटकर तो आ रहे हो पर क्या फिर वही जिंदगी लौटा सकते हो।।