शिकायतें बहुत है तुझसे
शिकायतें बहुत है तुझसे
कभी तो मिलों ऐसे समय पर की
कुछ बातें हो प्रेम भरी जी
यूं अलग समय पे ऑनलाइन आना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो मिलों इस कदर की
कुछ बातें हो इधर - उधर की
यूं मैसेज कर, रिप्लाई का इन्तेजार करना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो कर मेरे मैसेज का इन्तेजार तू भी
काश मेरी लत इस कदर लग जाए तुझे भी
यूं हर बार मेरा ही तुझे पहला मैसेज करना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो मिलों किसी ऐसे नुक्कड़ पर जी
जहा मिल सके किसी को नजर आये बिना ही
यूं दूसरों की नजरों से बच कर तुझे निहारना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो मिलों ऐसे रास्तों पर जी
जहा का रास्ता तुझ तक जाता हो जी
यूं चौराहों पर बिना मंजिल के भटकना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो देख मुझे तू इस कदर की
आंखों ही आंखों में मोहब्बत का इजहार हो जाए
यूं छुप-छुप कर तुझे देखते रहना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो चाहों हमें इस कदर की
मेरे जहन में याद बस जाए तुम्हारी ही
यूं तेरे इश्क़ के इज़हार का इन्तेजार करना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो मिलों ऐसे जहां में की
जहा घंटो वक़्त बीत जाए तेरी बातों में ही
यूं तुझसे मिलने की तमन्ना में रातों का गुजर जाना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो मिलों ऐसे मुकाम पर की
जहा कोई इच्छाएं रही न हो बाकी
यूं तेरे इन्तेजार में हर पल में खत्म होना
अब तो खलने लगा है जी।
कभी तो मिलों मेरी बाहों में इस कदर की
हम और तुम एक दुसरे में घुल मिल जाए जी
यूं अलग-अलग घरों में पड़े रह कर तड़पना
अब तो खलने लगा है जी।