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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance Tragedy

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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance Tragedy

रहबर

रहबर

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दरवाज़ा जब भी, खटखटाता है कोई !

रह रह कर यूँ ही, याद आता है कोई !

दिलासा दे कर न, वो गया होता, 

ज़ार ज़ार मैं, रो लिया होता !

सीने में तमाम दर्द लिये, 

हँस कर जुदा, हो गया कोई !

गले लगाकर, यूँ मुँह फेरा  उसने, 

ख़ैरियत पूछ, बीमार कर गया कोई !

उसूल ऐ वफ़ा तेरे, क़ुबूल हैं मुझ को, 

पर रहबर मेरा न, रह गया कोई !



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