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Minal Aggarwal

Tragedy

4  

Minal Aggarwal

Tragedy

आस की डोर

आस की डोर

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202

दिल के धागे 

दिल से बंधे

टूटते जा रहे हैं 

पेड़ के तने से बांधू


या खिड़की से झांकते

चांद की कलाई पर 

कहां बांधू 


अपनी आस की डोर जो 

सांस आ जाये

जाती हुई सांस को 

धागों के जोड़ अब

और तोड़ मत खुद को 


आकर बंध जा मेरी 

रिश्तों की उधड़ी हुई 

सिलाई से।


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