STORYMIRROR

aazam nayyar

Abstract Tragedy Inspirational

4  

aazam nayyar

Abstract Tragedy Inspirational

आ रही है याद उसकी बहुत

आ रही है याद उसकी बहुत

1 min
228

हर किसी से यहां तो बिछड़ते रहे !

तन्हा राहों से हम तो गुजरते रहे 


चोट ऐसी लगी प्यार में ही दिल पे

बिन पीए मेरे क़दम बस बहकते रहे 


ग़ैर हूँ जैसे देखा नहीं उसनें कल 

पास से ऐसे मेरे निकलते रहे 


लेकिन आया नहीं वादा करके मिलने

यादों में रोज़ उसकी तड़फते रहे 


नाम भी जिसका मालूम नहीं है मगर 

प्यार बनकर दिल में वो उतरते रहे 


और वो ही ठोकर मारने पे तुले 

टूटकर प्यार में हम बिखरते रहे 


इक नजर देखने को उसको आज़म तो

रोज़ गलियों में उसकी भटकते रहे

आज़म नैय्यर 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract