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aazam nayyar

Abstract Children

4  

aazam nayyar

Abstract Children

परियों की कहानी

परियों की कहानी

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के सुनाती नानी परियों की कहानी खूब है 

लाड में यूं हर रात कटती सुहानी खूब है 


बेवफ़ा कह दे न मुझको वो कहीं दिल से कभी 

दोस्ती उससे मगर दिल से निभानी खूब है 


कौन ऐसा शख्स जो दिल से निभाता है वफ़ा 

हो रही अब तो वफ़ा में बेइमानी खूब है

 

वो न जाने किस गली से आ जाये मिलने मुझे 

आज तो हर राहें फूलों से सजानी खूब है 


प्यार की ख़ुशबू यहाँ हर सांस में देकर मगर   

नफ़रतों की बदबू हर दिल से बुझानी खूब है


सह लिये है जुल्म अब तो बहुत इस ज़िस्म पर 

दुश्मनों के ही हस्ती अब तो मिटानी  खूब है 


आज उससे देखते है फ़ूल आज़म मांगकर 

दोस्ती उसकी मगर अब आज़मानी खूब है।


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