ग़ज़लकार नज़्म मुक्तक कविताएँ
है कहानी अधूरी मेरे प्यार की याद में रोज़ आज़म जला ख़्वाब में। है कहानी अधूरी मेरे प्यार की याद में रोज़ आज़म जला ख़्वाब में।
के ख़्वाब देखता आज़म हंसी यही होना न जाने कब अपना विवाह है। के ख़्वाब देखता आज़म हंसी यही होना न जाने कब अपना विवाह है।
राह में कोई मिला इक अजनबी है दोस्त अपना वो हुआ इक अजनबी है। राह में कोई मिला इक अजनबी है दोस्त अपना वो हुआ इक अजनबी है।
आज उससे देखते है फ़ूल आज़म मांगकर दोस्ती उसकी मगर अब आज़मानी खूब है। आज उससे देखते है फ़ूल आज़म मांगकर दोस्ती उसकी मगर अब आज़मानी खूब है।
मैं थका आज़म बहुत हूँ काम से जुल्फ़ों में उसकी ही सोऊ दिल करें। मैं थका आज़म बहुत हूँ काम से जुल्फ़ों में उसकी ही सोऊ दिल करें।
मत रहा कर तू आज़म से यूं ख़फ़ा आ गले लग जा सनम की तू प्यार दे। मत रहा कर तू आज़म से यूं ख़फ़ा आ गले लग जा सनम की तू प्यार दे।
गुल खिल जाते है सब यार गुलिस्तां के देखो जब ख़ुश होकर चलते बच्चे है गुल खिल जाते है सब यार गुलिस्तां के देखो जब ख़ुश होकर चलते बच्चे है
खेले है वो दुश्मनी का खेल है यार समझे दोस्ती का खेल है। खेले है वो दुश्मनी का खेल है यार समझे दोस्ती का खेल है।
है पता क्या औक़ात है तेरी यूं मुझे मत दिखा नहीं पैसा है पता क्या औक़ात है तेरी यूं मुझे मत दिखा नहीं पैसा
उसकी अंदर से आये ख़ुशबू हर पल उसका ही फ़ैला सांसों में जादू है उसकी अंदर से आये ख़ुशबू हर पल उसका ही फ़ैला सांसों में जादू है