अजनबी
अजनबी
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राह में कोई मिला इक अजनबी है
दोस्त अपना वो हुआ इक अजनबी है
कल तलक था गैर आज़म के लिये जो
आशना वो अब बना इक अजनबी है
इसलिये आवाज़ दे उसको नहीं थी
वो मुझे जैसे लगा इक अजनबी है
साथ जिसके ही यहाँ पल थे गुजारे
याद आता वो सदा इक अजनबी है
क्या इरादा है ख़ुदा उसका न जाने
देखता ही वो रहा इक अजनबी है
चाहता है दोस्ती करनी कहीं वो
फ़ूल मुझको दे गया इक अजनबी है
ज़िंदगी भर के लिये मेरा बना दे
जो हंसी चेहरा ख़ुदा इक अजनबी है
कल तलक था गैर आज़म के लिये जो
आशना वो अब बना इक अजनबी है।