STORYMIRROR

Karuna Gudheniya ( kukku ❤️😊)

Abstract

3  

Karuna Gudheniya ( kukku ❤️😊)

Abstract

कोई अपना भी होना चाहिए

कोई अपना भी होना चाहिए

2 mins
321

दुनिया की इस भीड़ में , कोई अपना भी होना चाहिए।

चलते हैं सभी साथ में, कोई हम-कदम भी होना चाहिए।

मंजिल के इस लम्बे सफ़र में, कोई हमसफ़र हो होना चाहिए।

दुनिया की इस भीड़ में, कोई अपना भी होना चाहिए।

सागर की बहती लहरों में, कोई किनारा भी होना चाहिए।

आंखों के बहते आंसुओं में, कोई कंधे का सहारा भी होना चाहिए।

बारिश की बहती बूंदों में, कोई इंद्रधनुष भी होना चाहिए।

जिंदगी की इस वीरानी में, कोई हमसाथ भी होना चाहिए।

दुनिया की इस भीड़ में, कोई अपना भी होना चाहिए।

जीवन की इन सांसों में, कोई जिंदगी भी होनी चाहिए।

जिंदगी की इन मुश्किलों में , कोई हाथ मेरे हाथों में भी होना चाहिए।

फूलों की इस बगिया में, कोई गुलाब भी होना चाहिए।

रिश्तों की इस भीड़ में, कोई हमें अपना कहने वाला भी होना चाहिए।

दुनिया की इस भीड़ में, कोई अपना भी होना चाहिए।

अंधेरे की इस बस्ती में, कोई शमां भी होना चाहिए।

जो साथ निभाये हर जन्म में, कोई हमदम भी होना चाहिए।

नफरतों के इस समाज में, कोई दिवाना भी होना चाहिए।

जो साथ निभाये हर ग़म में, कोई हमदर्दी भी होना चाहिए।

दुनिया की इस भीड़ में, कोई अपना भी होना चाहिए।

हर पल हो जो मेरे साथ में, कोई हमनशी भी होना चाहिए।

साथ निभाए जो हर हालात में, कोई जीवनसाथी भी होना चाहिए।

दुनिया की इस भीड़ में, कोई अपना भी होना चाहिए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract