तुझसे मेरा रिश्ता क्या है
तुझसे मेरा रिश्ता क्या है
तुझसे मेरा रिश्ता क्या है, मालूम तो नहीं मगर, तेरे लिए दुआ मांगना , अच्छा लगता है।
मेरे कितने पास कितने दूर है,तू क्या पता मगर , मुझे तुझे धड़कनों में बसाना, अच्छा लगता है।
तु कितना अपना कितना गैर है, क्या पता मुझे एक अजनबी,मगर तेरा मुझसे रिश्ता पूछ्ना , अच्छा लगता है।
प्यार है या नफरत ,ये जानूं कैसे, सामने झगड़ना तुझसे फिर तुझे ही मनाना, अच्छा लगता है।
तेरे उजालों को देख ,खुश होना ,तेरे अंधेरों में मेरा हाथ ना छोड़ना, मुझे अच्छा लगता है।
तेरे साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना, तेरे लिए पूरी जिंदगी इंतज़ार करना , अच्छा लगता है।
वो झगड़ो में सिमटी रातों को,वो अधूरी रही बातों को, शायद भूला ना पाऊं मैं, फिर भी तेरी बातों को याद रखना, अच्छा लगता है।
वो मिलने को तरसती मेरी आंखों को,वो मिन्नतें करती मेरी सांसों को,वो हारी हुई तमाम कोशिशों को, शायद भूला ना पाऊं मैं, फिर भी मेरी उन सारी हुई कोशिशों पर , तेरा जीत जाना अच्छा लगता है।
तुझसे मेरा रिश्ता क्या है , मालूम तो नहीं मगर, तुझे अपना हमदर्द समझना, अच्छा लगता है।