काश
काश
काश वो फिर से मेरी हो जाये, इंतज़ार है जिसका वर्षों से,
ढूँढती है जिसे नज़रे हर राहों में, उन्ही राहों में कहीं वो मुझे मिल जाये,
काश वो फिर से मेरी हो जाये।
गले से मुझे लगाये और अपने दिल की बात बताये,
जुल्फों के साए में छुपा के मुझे कहीं दूर ले जाये,
काश वो फिर से मेरी हो जाये।
दूँ उसे हर खुशी मै इस जहान की, जितना कभी कोई सोच ना पाए,
चाहे वो भी मुझे अपनी हर एक सांस से, मेरी भी हर सांस उसकी हो जाये,
काश वो फिर से मेरी हो जाये।
रूठ जाए अगर कभी वो, उसे मनाने का मुझे मौका मिल जाये,
बाहों में उठा लूँ उसे मै अपनी और मेरा रंग उसके रंग में घुल जाये,
काश वो फिर से मेरी हो जाये।
ले जाऊं मै उसे उसी जहान में, किस्मत में जहाँ वो मेरे आयी थी,
खो जाए वो पुरानी यादों में और सर्द रातें फिर से गर्मा जाये,
भूल जाये वो सब कुछ अपना और फिर से वो मेरी हो जाये।
जाने न दूँ खुद से दूर उसे मैं, चाहे मौत मेरे सामने आ जाये,
मरना मंजूर संग उसके मुझे बस वापस वो मेरी जिंदगी में आ जाये,
नामुमकिन से इस सपने को मेरे, एक हसीन मंज़िल वो मिल जाये,
दुआ रहेगी हर चौखट में मेरी, काश वो फिर से मेरी हो जाये।