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Neeraj pal

Romance

4  

Neeraj pal

Romance

ग़ज़ल।

ग़ज़ल।

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गर चाहते जो रिझाना दिलबर को ,पैदा कर जोर अपने जिगर में,

अब तक रहा तू गफ़लत में, मगर पैदा कर होश अपने मन में।


बिना जुदाई के हरगिज़ नहीं मिलता लुत्फ़-ए-वस्ल मेरे यारों,

दिल में इतनी मोहब्बत की कसक पैदा कर मेरे प्यारों।


मत रख तू ताल्लुक दुनियादारी के ख्यालों को जुदा कर दे,

पैदा कर दिले मदहोश को बस उनके ही तसब्बुर में ए बंदे।


मिटा दे तू अपनी खुदी को कि दिल में उससे बेगराज मोहब्बत हो,

तेरे तार उनके तार से जुड़ने को मजबूर हो जाऐं जो अता हो।


पी सको तो आंसू पी ,उफ़ तक ना निकल सके दिल से,

इतना होश पैदा कर कि ना आ सके जिक्र लबों से।


ता उम्र तू भटकता ही रहा देख इस दुनिया की रंगत को,

उनके बताए नक्शे कदम पर चल जो पा सके उसकी चाहत को।


रख चौकसी हरदम अपने दिल पर रहे चाहे ख्याल भी ना अपना,

रहे चाहे होश ना अपना ,जगते पर भी लगे कोई सपना।



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