अभी बाकी है
अभी बाकी है
मंज़िल थोड़ी दूर है, उसका चलना अभी जारी है,
रुकी नहीं है अभी वो, उसकी साँसें अभी बाकी है।
तूफानों में कस्ती है, लहरों का भी शोर है,
किनारे को पाना है, उसका ज़ज़्बा अभी बाकी है।
आँखों में सपने हैं, दिल की भी तमन्ना है,
घाव उसके भर गए लेकिन उसका दर्द अभी बाकी है।
बाल उसके बँधे हुए हैं, भूखी नज़रों से भी उसे
बचना है,
कमजोर नहीं है वो ज़रा भी, उसका प्रहार अभी
बाकी है।
चुप नहीं है वो, मन में उसके बोझ बहुत है,
जानती है जवाब देना, उसका कहना अभी बाकी है।
जिम्मेदारियों की परवाह है उसे, कीमत वो सबकी जानती है,
छुपा नहीं है उससे कुछ भी, उसका प्रेम अभी बाकी है।
आग की लपटें हैं उसमें, मन में समंदर की भी गहराई है,
ठेस न पहुँचे इन लपटों को, समंदर का बहाव भी अभी
बाकी है।
इज़्ज़त है वो अपने घर की, भाई की कलाई की भी राखी है,
कमरे घर बन जाते उसके रहते, बस उसको भगवान कहना
बाकी है।