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Anurag Negi

Inspirational

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Anurag Negi

Inspirational

इशारा

इशारा

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मदहोशी का यह आलम

थोड़ा मुश्किल है जीना,

जीना भी चाहूं इसे तो,

यह मुझे जीने नहीं देता।


ठहर जाती है फिजाएं जहां,

समय के बस एक इशारे पर,

कैसे चुनू मैं वो इशारा,

यह मुझे चुनने नहीं देता।


हालत पर तरसती है दुनिया,

सच्चाई ही दुश्मन बन जाती हूं,

कैसे कहूँ मैं सच किसी को,

यह मुझे सच कहने नहीं देता।


गैर बने है सब दिल के अपने,

सिर्फ परायों पर ही विश्वास है,

कैसे करूँ उम्मीद किसी से,

पिछला सबक मुझे विश्वास

करने नहीं देता।


मजबूरी की जंजीर बंधी है,

आंखों पर इसी का पर्दा है,

कैसे तोड़ू इसे कलाई से,

इसका अंधकार मुझे कुछ

देखने नहीं देता।


वक़्त का पहिया चल रहा है,

सबको इसे हराना है,

कैसे हार जाऊँ मैं किसी के आगे,

मेरा वक़्त मुझे कभी हराने नहीं देता।


सौदा किया है जिंदगी का जिससे,

धोखे से उसे भी बचाना है,

कैसे बेच दूँ ईमान मैं खुद का,

मेरा जमीर मुझे गिरने नहीं देता।



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