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Moonsfeeling by Chand

Romance

4  

Moonsfeeling by Chand

Romance

Love with Lust

Love with Lust

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हद‌‌ है कितना बेशर्म हूँ मैं

कल रात बेशर्मी के बैठा वो

रात मेरे सामने बैठी थी

और मैं हद से गुजर बैठा।


जुल्फें, उसकी आंखों पर थी

काजल उसका गहरा था,

चेहरा उसका रंग बादामी,

होठ उसके मक्खन जैसे

मेरा रोम रोम उस वक़्त मचला था

हद‌‌ है कितना बेशर्म हूँ

मैं कल रात बेशर्मी कर बैठा


वो रात मेरे सामने बैठी थी

और मैं हद से गुजर बैठा

पलकें झापकते हुए

उसने मेरी ओर देखा


मैं भी बेशर्म उसकी ओर

देखता गया शायद वो भी

मेरी बाहों में लिपटना चाहती थी

उसके माथे का पसीना

बता रहा था। 


मैं भी उसके ओर करीब

आके बैठा हद‌‌ है कितना बेशर्म हूँ

मैं कल रात बेशर्मी के बैठा

वो रात मेरे सामने बैठी थी

और मै हद से गुजर बैठा

उसके बाद जो हुआ

हम दोनों पूरी रात बेशरमों की तरह


कामुक एहसास में डूबे रहे

वो मुझे नोचती रही

मैं उसे खरोचता रहा

उस समय हम दोनों का

तन मन ऐठा था


हद‌‌ है कितना बेशर्म हूँ

मैं कल रात बेशर्मी के बैठा

वो रात मेरे सामने बैठी थी

और मैं हद से गुजर बैठा।


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