माँ by Shaayar Moon
माँ by Shaayar Moon
अब माँ के बारे में क्या बोलूं
माँ की याद उस दिन ज्यादा आई थी
जिस दिन मैंने पहली बार रोटी बनाई थी
मैंने कोशिश करी,
पर वो रोटी कभी गोल नी बनी
शायद मुझमें ही थी कुछ कमी
हाथ जला, तकलीफ हुई
मेरी आंखों से अश्क बहा
फिर मैंने सोचा मेरी पूरी उम्र में
मेरी माँ ने ये सब कैसे किया
माँ ने तकलीफ सह कर मुझे पाल दिया
कभी आपका कर्ज अदा नहीं कर सकूंगा
आपने इतना बड़ा काम किया
बचपन में चोट तो सबको लगती है
उनमें में से
मैं भी एक बच्चा हूँ
रोकर अपनी माँ के पास गया
पहले तो दो चांटे मारे फिर बोली उधर क्यों गया
फिर बाद में माँ ने ही मेरा मरहम किया
गुस्सा भी करती है , प्यार भी करती है
मरहम भी करती है , इंतज़ार भी करती है
रूप, रंग, छाया
इस धरती की काया है वो
तीर-ए-नज़र कहीं भी घुमा लो
हर रूप में नजर आएंगी,
इस धरती की माया है वो
तकलीफ मत देना उसे
हर सूरत-ए-हाल में माँ है वो
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© Chand Hussain
IG - MoonsFeeling