बरगद होने के बाद तुम समझोगे
बरगद होने के बाद तुम समझोगे
जब तुम्हारी आंखें रोने होती हैं,
जब तुम्हारे होठ थरथराते हैं,
मेरे अंदर प्रसव पीड़ा होती है !
मुझमें घृणा,नफ़रत जैसी कोई स्थिति नहीं,
लेकिन मेरे मस्तिष्क में स्थित त्रिनेत्र, स्वतः,
उन सारी स्थितियों को स्वाहा करने लगता है,
जो तुमको रुलाते हैं,
कमज़ोर बनाते हैं !
तुम समझोगे इस स्थिति को एक दिन,
जब प्रसव पीड़ा जैसी पीड़ा,
तुम्हारे भीतर होगी
और उस दिन "माँ" के शांत चेहरे के पीछे
छुपे दावानल का अर्थ
तुम पंक्ति दर पंक्ति समझ लोगे।
मैं तुम्हारे सत्य के साथ हूँ,
तुम्हारी ख्वाहिशों के तने पर
मेरी दुआएं बंधी हैं,
लेकिन आँधियों की चेतावनी मैं हमेशा दूँगी,
शायद वह चेतावनी तुम्हें मेरा रौद्र रूप लगे,
पर जिन यत्नों से
मैंने तुम्हें वृक्ष बनाया है,
उतनी ही जतन से,
तुम्हारे अस्तित्व से
पक्षियों का कलरव नहीं जाने दूँगी,
मैं तुम्हारी जड़ों में
दीमक नहीं लगने दूँगी
बरगद होने के बाद
तुम समझोगे प्रकृति और माँ को।