दर्द एक तिलिस्म है
दर्द एक तिलिस्म है


दर्द एक तिलिस्म है
जितना सहो
उतने दरवाज़े उतने रास्ते
बन्द स्याह कमरों में
घुटता है दम
चीखें, आँसू
निकलने को आतुर होते हैं
कई अपशब्द भी
दिमाग में कुलबुलाते हैं
लेकिन मंथन होता रहता है
tyle="color: rgb(34, 34, 34);">उनके और समय
पर दी गई सीख का
और एक दिन
निःसंदेह तयशुदा वक़्त में
जब अँधेरा पूरी तरह
बुरी तरह निगल लेता है
एक रौशनी निकलती है
और बिना कुछ कहे
रास्तों पर खड़ी कर देती है
बढ़ो, जो मुनासिब लगे उस पर !