प्राचीन संस्कृति का चित्रण करती चित्रकारी
प्राचीन संस्कृति का चित्रण करती चित्रकारी
कोई रेस नहीं पर पसंद है घुड़सवारी,
मानो दिल को है अलग सुकून मिलता,
देखी पुरानी पिक्चर है कैसे आते अंग्रेज थे,
और कैसे राजा महाराजा उन पर बैठे लड़ते युद्ध थे,
चित्र देख याद आये वो प्राचीन दिन,
जब न होती गाड़ी न मोटरसाइकिल थी,
तब चलती बैलगाड़ी और घुडसवारी थी,
रोज उन पर बैठ सामान को लाद,
जाते थे दूर गांव तक,
अब बस यादें हैं पुरानी,
सुनते जो बड़ों के मुंहजबानी,
पिक्चरों में मिलते वो चित्र देखने को,
या कल्पनाओं में रहते वो जिंदा है।
