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Priyanka Shrivastava

Children Stories

5  

Priyanka Shrivastava

Children Stories

बादल से ऊपर

बादल से ऊपर

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कितना अच्छा होता, बादलों से ऊपर अपना घर होता

न ठंड का डर , ना सर्दी  की चिंता 

कोहरे की चादर पर , धूप का आनंद मिलता

नीहार  ऊपर लेट कर, धुंध भरी धरा निहारता

कितना अच्छा होता बादलों से ऊपर अपना घर  होता।


जब मुझको गर्मी लगती बादल में छुप जाता 

बादल मामा से पानी मांग छपक छपक नहाता 

भूख लगे तो ओला वाला बर्फ मन भर खाता

साथी सखा संग मिल  मौज मगन मन रहता

कितना अच्छा होता बादलों के ऊपर अपना घर होता।


बदल पर बैठ कर देश विदेश घूम आता

वायुयान का काम नहीं बादल हमें घुमाता

इंतजार धूप का  दादी को भी ना होता 

दादी के खट्टे-मीठे आचार से घर भर जाता

कितना अच्छा होता बादलों के ऊपर अपना घर होता।


टिंकू मिंकु भैया दीदी सबकी चांदी हो जाती

बादल पर बैठ सभी को हिम आनंद मिलता

ऊपर खुली धूप, नीचे हिम सा बिछा चादर

मन आनंदित हो जाता जो बादलों ऊपर रहता 

कितना अच्छा होता बादलों के ऊपर अपना घर होता।

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