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Priyanka Shrivastava

Tragedy

3  

Priyanka Shrivastava

Tragedy

अंधी दौड़

अंधी दौड़

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अंधे बन हम दौड़ रहे

कुछ पाने की होड़ में,

हाथ में कुछ आता नहीं

गिरते ठोकर खा हर मोड़ पे।

दुश्मन को हम गले लगाते

दोस्त को दुश्मन कह जाते

अपने ही हाथों से हम 

अपने घर आग लगाते।


संस्कार अपना छोड़ कर 

पाश्चात्य सभ्यता अपना रहे

हाथ जोड़ना भूल गए

काल बुलाते हाथ मिला कर।


कभी इबोला कभी स्वाइन फ्लू

कभी कोरोना को घर ले आते

फिर हाय हाय ये क्या लाए

कह खूब शोर मचाते हैं।


रोना धोना बंद कर

बीज लगाएं उन वृक्षों का

जिनमें फले संस्कार हमारे

देखो फिर दुनिया हमसे हारे।



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