अनजानी सी लड़की
अनजानी सी लड़की
अंजानी सी है वो लड़की
पागल सी है वो लड़की
पर जीने का सलीका जानती है
हंसकर बातें करना आदत है उसकी
परवाह नहीं उसे किसी दुश्मन की
वह तो सभी को अपना मानती हैं
अगर हो जाए कोई नाराज
तो उसे मनाने का तरीका जानती है
अंजानी सी है वो लड़की पागल सी है
वो लड़की पर जीने का सलीका जानती है...
अपनी तारीफ सुनना पसंद नहीं उसे
पर लोगों की तारीफ करा करती है
उसके अपने हमेशा खुश रहें
एक बस यही उसके दिल का मरहम है
यूं तो मौज मस्ती अपनी जगह है
पर वो अपनों के लिए समय निकालना बखूबी जानती हैं
अंजानी सी है वो लड़की पागल सी है
वो लड़की पर जीने का सलीका जानती है....
वैसे तो दिल से नादान और इमोशनल वो भी है
I know प्यार की जरूरत तो उसे भी है
और वो ऐ भली भांति जानती है
फिर भी सब कुछ छोड़कर, लोगों को नसीहत देती फिरती हैं
अंजानी सी है वो लड़की पागल सी है वो
लड़की पर जीने का सलीका जानती है़.....
थोड़ा बहुत तो वो भी लिखती है
पर मैं उसे पढ़कर उसे शायरा मानता हूँ
शायद वो मुझे नहीं जानती है
पर मुझे लगता है की मैं नालायक,
पर मुझे वो सुधारने का तरीका जानती है
अंजानी सी है वो लड़की पागल सी है वो
लड़की पर जीने का सलीका जानती है....
कभी खुश देखता हूँ
उसे कभी उदास शायद कुछ सपने उसके अधूरे हैं
या शायद उस पर मजहबी पहरे हैं
दुनिया की नज़रों में वो एक रोशनी है
पर वो खुदको अंधरे में रखती है
अंजानी सी है वो लड़की पागल सी है
वो लड़की पर जीने का सलीका जानती है...
. मुझे फालतू शायर ना समझना मै दिल से लिख रहा हूँ
कि मै उस पागल सी लड़की को पाना चाहता हूँ
उसे मज़हब से निकालना चाहता हूँ
मुझे पता है वो अनजानी है
अभी मै लड़का बेसबर हूँ
पर वो चांद सा ठंडा स्वभाव रखती है
अनजानी सी है वो लड़की पागल सी है
वो लड़की पर जीने का सलीका जानती है