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Churaman Sahu

Romance

4  

Churaman Sahu

Romance

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?

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याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?

जब msg का रिंग बजता है

तो दिल  की धड़कन ,तेज हो 

जाती है क्यों ?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?


आफिस दफ़्तर जाते-आते

दिन पूरा निकल जाता है

शाम की चाय तुम बिन ,खल 

जाती हैं क्यों?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?


नीले अम्बर पर तारों का पहरा

फिर भी चाँद को चमकते देखा 

टूटते तारे को देख कर ,आँख बंद हो  

जाती हैं क्यों ?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?


बारिश, सर्दी या हो गर्मी का मौसम

काट लेते हैं अपने हिसाब से 

हर मौसम में मेरा हाल 

पूछ लेना, दिल को छू 

जाती हैं क्यों ?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?


लोगों के नज़रों में हूँ अकेला

उस नज़र से खुद को 

कभी देखा ही नहीं 

जब तुम्हारी याद आयी,

दिल धड़कन और मन

एक हो जाती हैं क्यों ?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?


ये सच है तुम दूर हो 

मुझसे पर दिल में तो हो 

दूर रहके भी ये दूरियाँ अब 

दिल को, सुकून दे 

जाती हैं क्यों ?

याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?


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