ड से डॉक्टर
ड से डॉक्टर
अभी तो जमी पर सिर्फ़ पाँव जमाया है,
नज़र अर्जुन सा सिर्फ़ लक्ष्य पर टिकाया है।
पहुँचना आसमाँ के उस ऊँचाई पर है,
जिसे पाने के लिए वर्षों से ख़्वाब सजाया है।
ये ख़्वाब सिर्फ़ मेरा नहीं,
ये ख़्वाब मेरे पिता का भी है,
जिसने हर हालात से लड़ना सिखाया है।
और मुझे सिर्फ़ जीतना सिखाया है।
ये ख़्वाब सिर्फ़ मेरा नही,
ये ख़्वाब मेरी प्यारी माँ का भी है।
जिसने मेरी क्षमताओं को पहचान कर,
आशाओं के नए पंख दे, उड़ना सिखाया है।
ये ख़्वाब सिर्फ़ मेरा नहीं,
मेरे गुरुजनों का भी है,
जिसने मुझे द से दवाई से , ड से डॉक्टर बनने में,
हर सवाल का हल निकालना सिखाया है।
ये ख़्वाब सिर्फ़ मेरा नहीं,
मेरे प्यारे दोस्तों और भाई बहनों का भी है,
जिसने मुझे रोते देख, अपना सब कुछ भूल कर
हर हाल में मुझे हँसना सिखाया है।
अभी तो जमीं पर सिर्फ़ पाँव जमाया हैं……