बारिश और तुम
बारिश और तुम
काश तुम पास होती
तो ये शाम भी बहुत खास होती
आसमा में उड़ते काले बादल
जब बरसने लगते
तो बारिश के बूंदों की
अलग ही अंदाज होती
काश तुम पास होती
पहली बारिश में
गीली मिट्टी की सौंधी खुशबू
बन कर इत्र सा हवा में
घुल रही होती
ओ खुशबू भी बहुत खास होती
काश तुम पास होती
बरसने वाली बारिश की
बूंदों को तुम निहारती
और मैं सिर्फ तुम्हे
उस पल के तस्वीर की
दिल में अलग छाप होती
काश तुम पास होती
तुम साथ होती तो
बारिश में भीग भी जाता मैं
भूल जाता खुद को
याद कुछ भी न रहती
क्योंकि उस पल
मेरे हाथों में तुम्हारी हाथ होती
काश तुम पास होती
जैसे ही तुम्हारा हाथ
मेरे हाथ में आते
तो आसमा में चमकते बिजली
की तरह
मेरे दिल की धड़कन भी तेज होती
और मन खुशी से झूम जाती
काश तुम पास होती
ये शाम ये बादल और ये बारिश
देख कर तुम बहुत खुश हो जाती
और मैं तुम्हे देखकर
जब तुम हमेशा के लिए
मेरे साथ होती
काश तुम पास होती
शायद तुम्हे पता हो
तुम क्या हो मेरे लिए
तुम्हे उड़ते बादलों में
बरसते पानी के बूंदों में
और न जाने कहाँ कहाँ
हर जगह तलाशता हूँ
और लिख लेता कविता हूँ
कुछ शब्दों को जोड़कर
जो दिल को सुकून दे जाती
काश तुम पास होती
जानता हूँ तुम पास नही हो
मगर ये दिल कहाँ मानता हैं
ये शाम, ये बारिश
और ये चाय
सोचता हूँ जब तुम बनाती तो
उस चाय की अलग स्वाद होती
काश तुम पास होती।