थोड़ा सा इश्क
थोड़ा सा इश्क
इस बार जब बारिश होगी
तो चाय बनाना तुम
चीनी , पत्ती और अदरक के साथ
थोड़ा सा इश्क मिलाना तुम
करेंगे बहुत सारी बातें
साथ बैठकर
छूट गए होंगे कोई क़िस्सा
यार फिर से सुनाना तुम
मैं सुनना चाहता हूँ तुम्हें
बिना कोई रोक-टोक के
प्यार हो या कोई शिकायत
इस बार कुछ ना छुपाना तुम
जब भी कुछ लिखता हूँ
बस तुम्हें सोचता हूँ
पूरी कोशिश की तुम्हें लिखने की
कुछ भूल गया हो तो बताना तुम
डायरी के हर पन्नों को
पलट कर पढ़ लेता हूँ
कविता हर पंक्ति में तुम हो
मैं कहाँ हूँ, यार बताना तुम
इस बार जब बारिश होगी
तो चाय बनाना तुम
चीनी, पत्ती और अदरक के साथ
थोड़ा सा इश्क मिलाना तुम।