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Arunima Bahadur

Romance

4  

Arunima Bahadur

Romance

अदभुत नाता

अदभुत नाता

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न जाने कब का ये नाता हैं,

तेरा हर भाव बहुत ही भाता हैं,

मुझमे मेरा कुछ नहीं,


जो हैं बस तुझमे ही समाता हैं,

न कुछ मैं है,

बस तू ही तू नज़र आता हैं,

मेरे रोम रोम में बस 

तू ही तू मुस्काता है,


हर कण में देख तुझे,

मन दर्पण खिल जाता हैं।

न फिर कोई शब्द मुझे

तेरे लिए मिल पाता हैं,


और कुछ नहीं बस ये

अद्भुत प्रेम का नाता है।


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