यादों का कारवां
यादों का कारवां
सुलगती अंगूठी से धुयें का गुबार आंखों में जलन दे रहा था ।रोज के धुयें और आज के धुए में फर्क महसूस हो रहा था मंजिलें खुद से बातें करने लगीं यह रातें भी न! ना-ना ये यादें भी न, इनके काफिले ने तो जैसे मेरे दिल के कबीले में धावा बोल दिया और अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया । मैं उन घनेरी जुल्फों के सितम को अब भी महसूस कर रहा। आंखों में जलन अभी थमी नहीं आग पूरी तरह अपने शबाब पर तपन दे रही थी। ठंड इतनी थी कि गिरेबान में झांक सकूं इतना भी फ़ासला नहीं था ,गर्दन ठंड से मफलर में खुद को निजात पहुंचाने के लिए मफलर में ही लिपटी रही ,और नींद की खुमारी में लिपटी हुई थी यादों का मैं क्या करूं ?
भाविका और मंजिलेश्लि फ्ट में एक साथ ही प्रवेश किए मगर दोनों ने एक दूसरे को एक साथ नहीं देखा आज से लगभग 5 वर्ष पूर्व दोनों एक दूसरे के आगोश में वक्त व्यतीत करते ,एक अजीब सी रोमांचित रोमांस की पुनर्व्याख्या का पुनर्अनुभव मंजिल इसकी आंखों को गीला कर ताजगी दे रहे थे !भाविका आज अपने नए प्रोजेक्ट को लेकर देहरादून आई थी उसका प्रेजेंटेशन की तैयारी का आलम लगभग पूरा हो चुका था होटल दामण की लिफ्त् मे उसने भी मंजिलेश् को देखा दोनों ने नजरें चुराकर जैसे अपने रिश्ते की इतिश्री
कर ली मगर ऐसा होता नहीं। हर करवटों में खट्टी मीठी यादों की झंकार सुनाई दे रही थी ।विस्मित पटल पर फिर एक फिल्म एक रील जिसने भाविका की आंखें भीगा दी । आज मंजिलेश् पूरी रात न् सोने के कारण आंखों में जलन महसूस कर रहा था फिर भी समय गवाएं बिना वह फटाफट तैयार होने लगा। उसने आसमानी शर्ट पहनी और फिर जब उंगलियां बटन लगाने लगी तभी उसे अजीब सी गुदगुदी लगी एक भीनी खुशबू ने फिर उसे सहलाया ,नीली शर्ट काली पैंट, कोट में, उसके चेहरे पर आज एक चमक दिखाई दे रही थी बहुत वक्त के बाद उसे खुशी मिली मगर क्या बात थी कि लिफ्ट में एक साथ बरसों बाद मिलने पर दोनों में से किसी ने पहल क्यों नहीं की?
भाविका अपने कार्य को पूरा कर खुश थी उसका प्रेजेंटेशन उसका प्रोजेक्ट सराहनीय रहा और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच भाविका भाव विभोर हो उठी और वह अब देहरादून में ही पोस्टिंग ले चुकी थी । देहरादून की खूबसूरती में जीवन की पहली गजल मिल गई थी । मन्ज़िलेश ने अपनी हेयर स्टाइल चेंज की थी जो कभी भाविका को पसंद थी' और वह अपनी के आईने में खुद को सँवारते हुए होटल दमन की ओर निकल चुका, जहां यादों का कारवां खत्म हो दामन में खुशियों की सौगात उसका इंतजार कर रही थी ।