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Smriti Shikha

Romance

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Smriti Shikha

Romance

वो अधूरे अल्फाज़ बिना तेरे

वो अधूरे अल्फाज़ बिना तेरे

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तेरा अलविदा केहेना आज भी आता मुझे बहुत याद है हर पल मन में आता ये खयाल है होना हीं था हमे एक दूसरे से हमेशा के लिए जुदा


तो ऊपर वाले ने हमे एक दूसरे से मिलाया हीं क्यों था जब की थे हम खुश अपनी अपनी ज़िंदगियों में मिलने से पेहेले एक दूसरे को 


दुख और दर्द भरी ज़िंदगी होता क्या है ये तब तक हुवा नही था कभी हमे उसका एहसास 


थे मस्त हम अपने अपने ज़िंदगियों में तब मगर अब तुम्हारा क्या हाल नही तो मुझे अब ये पता 


पर मेरे ज़िंदगी में तो लगता ऐसा है जैसे हो सारी खुशियों की वजह इस दुनिया हो गई है मेरे लिए खतम 


जहां पेहेले वक्त में दुख दर्द का नहीं हमे कोई अंदाज़ा था आज दिखता हर जगह दुख दर्द से हीं भरा खुशी का नहीं एक बूंद यंहा ।


याद करती हूं मैं वो दिन जंहा कर तुम किसी और के लिए रहे थे इंतजार मगर हो गई हमारी मुलाकात शुरुवात में गलती से 


उम्मीद करती हूं उस गलती को छोड़ कर पीछे सिर्फ एक गलती के तरह हुवे तो न जूझ रहे होते हम दुख और दर्द से 


जहां आए तुम इत्तेफाक से लेने अपनी ऑफिस की सहयोगी से करने ऑफिस की बात और मैं भी थी ऑफिस की नई कर्मचारी 


आई थी लेने अपने सीनियर से नौकरी का विवरण वहां पर मिल गए तुम सोच कर एक दूसरे को अपना अनजान साथी करने लगे हम बातें 


जब आए हमारे असली साथी जो थे तुम्हारी नई सहकर्मी और आए मेरे सीनियर तब पता चला की हो गई थी हमको गलत फेमी


मगर बातें लगे अच्छे थे हमे एक दूसरे के इसीलिए किए हम दोस्त बनने की शुरुवात ।


था क्या तब हमको पता की बनना दोस्त पड़ जाएगा हमे महंगा तोड़ जाएगा हमारा दिल 


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दे जाएगा हमे दुख और दर्द भर जाएगा हम्मे भी कईं सारे अरमान जिससे पड़ेंगे हमे छोड़ने रेहे वो जाएंगे अधूरे 


आज लगता है कैसे नजाने बीत वो मीठे मीठे दिन गए जिसमे भरे कईं सारे खुशी के पल 


जहां थोड़े हीं समय में जान हम गए थे एक दूसरे को समझने लगे थे एक दूसरे को 


याद रखने लगे थे एक दूसरे की पसंद नापसंद को घुल मिल गए थे हम बड़े हीं कम समय में अपने अंदर 


की पता हीं नहीं चला की नजाने कब अजनबियों से बन हम इतने अच्छे दोस्त गए की बांटने लगे थे हम एक दूसरे के हर छोटे छोटे जरूरी किस्से सोच कर हम एक दूसरे को अपने ।



धीरे धीरे वक्त बिता और जान हम गए थे एक दूसरे को बड़े अच्छे से जहां पढ़ने लगे हम एक दूसरे का चेहरा बिना जाने क्या चल रहा उसके मन में जान हम एक दूसरे का दिल का हाल जाते थे


फिर तुम्हारा अचानक मुझसे दूर चले जाना ये केहे कर की जा तुम विदेश रहे हो अपने नौकरी के काम से 


पता नही की कभी वापस आओगे या नहीं या फिर वहीं पर हमेशा के लिए हीं बस जाओगे 


पता नही क्यों चुभ था रहा वो बात बड़ा मेरे दिल को ऐसा लगा जा रही हूं होने किसी अपने से बहुत दूर 


खो रही हूं अपना किसीको जिससे होगी नही मिलने की कोई उम्मीद उस दिन कहा तुमने सिर्फ इतना था मगर नजाने क्यों लग ऐसा रहा था 


जैसे रेहे कुछ अधूरे गए तुम्हारी अल्फाज़ बता ये तुम्हारा चेहरा रहा था तुम्हारी आंखें जैसे तुम्हारा दिल का हाल कर रही थी बयां ऐसे की बातें आ कर पहुंच गई तुम्हारी जुबां तक थी मगर होठ कर ना पा रही थी उसे बयां जो हैं चुभते आज भी दिल को मेरे की काश थम जाता वो पल और हो गई होती हमारी बात पूरी ।



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