तू मेरा कान्हा
तू मेरा कान्हा
तू मेरा कान्हा बड़ा नटखट है माना
सांवला रंग है तेरा फिर भी है सबका मनमोहना
ओ कान्हा सताता है गोपियों को बड़ा फिर भी
है तू सबका बड़ा प्यारा, मेरा कान्हा
माना की खाता तू है माखन सबकी घरों से चुराकर
फिर भी है तू सबका प्रिय बालक
खाता है मैय्या यशोदा से डांट बड़ा जब पकड़ा है तू जाता
चुराते हुवे माखन फोड़ते हुवे गोपियों के मटकियां
चुराते हुवे गोपियों के वस्त्र आती है तुझे बड़ी मज़ा
मगर जब करदे वो तेरी शिकायत मैय्या को
बांधे वो तुझे खंबे से ना कर पाए तू शैतानियां
ओ मेरे कान्हा जाता है सबके घरों में
यहाँ पे भी आ जाना मेरे मनमोहना
ना करूंगी मैय्या से तेरी शिकायतें
यहाँ मेरे पास आ जाना ओ मेरे कान्हा
बुलाती हूं मैं तुझे मेरे घर में ।
तू मेरा कान्हा सबको है बड़ा प्यारा सबका है दुलारा
चुराए सबके यहां माखन अपने मित्रों के संग
सताए राधा को जाके बरसाना
नाचे मोर मोर्नियों के संग वर्षा के दिन
खिलाए बंदर को माखन अपने संग करके उनके साथ आनंद नृत्य
फिर भी है तू सबका मन मोहन
दुष्ट तेरा कंस मामा भेजे तुझे मारने हेतु असुरों को
फिर भी कर देता तू सबका अंत देता है तू सब पापियों को मोक्ष
जब देवराज इंद्र हुवे थे क्रोधित बरसाना और गोकुल वालों पर
किया था घोर वर्षा आया था भयंकर बाढ़ बेहे गए थे सारे वस्तु
गुहार लगाई थी सबने तुझे करने उनकी रक्षा क्षयामा याचना करने
देवराज इंद्र से फिर भी न माने तू, तूने उठाया अपनी कनिष्ठ उंगली से
गोवर्धन की विशाल पर्वत उस दिन से अनंतकाल तक गिरिधारी
एक सप्ताह तक कनिष्ठ उंगली से उठाया तूने गोवर्धन पर्वत
ना थी तुझे भूख की एहसास न लगी थी तुझे ज़रा सी भी प्यास
इसीलिए सबने मिले पूजा तुझे ५६ भोग से
तू है मेरा कान्हा अब तो आ जाना मैं तुझे बुलाऊं न ओ मेरा कान्हा ।
