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Shalvi Singh

Romance

4.4  

Shalvi Singh

Romance

वो पहले प्यार का एहसास

वो पहले प्यार का एहसास

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पहला प्यार, एक नया एहसास।वो प्यार भरी बातें, तेज़ धड़कने, थोड़ी - सी घबराहट और उनकी यादें।।

आपका निःशब्द होना या कभी बोल ही नही पाना? कि जब कभी अपने - आप की खबर ही न रहें। आपका अस्तित्व किसी और में घुलता जाए और सारी बातें मन - ही - मन में चलती रहें।न वो कुछ कहें न आप कुछ सुनो! बस ऐसे ही चलता जाए प्यार के पहले एहसास में, जो पहली बार हो जाए।।

कभी - कभी ये प्यार है या और कुछ , समझने की मुश्किलें बढ़ाता है। दूसरी तरफ एक 'क्यों' में आपको कहीं छोड़ जाता है।अचानक से किसी का अच्छा लगना, फिर एक मुलाक़ात में पूरी ज़िंदगी बन जाना, "क्या ये पहले प्यार का यही एहसास कहलाता है?"जो आपको- आपके जीवन में स्वीकार करता है, कुछ ऐसा हो जाता है, जो पहले कभी नही हो पाता है।।

फिर एक दिन अचानक से आभास कराता है कि कहीं प्यार तो नही हो रहा!मन - ही - मन में बडें सवाल उठाता हैं, "पता नही", हाँ!, या नही!बड़ी उलझने मचाता है, लेकिन मन के वो जगते एहसासों को ये यकीन दिलाता है कि प्यार हो रहा है, सिर्फ और सिर्फ तुम्हें प्यार हो रहा है।।

फिर दिल की गुनगुनाहट को प्यार के मीठे बोलों में घुलाता है। ये यकीन दिलाता है , फिर तुझे; तुझी - से खुद को चुराता है।तेरी चाहतों के छाए

सुरूर में, कुछ इस कदर हरपल एक जगह नज़र आ जाता है।।

मन में हर पल की बेचैनी महसूस कराता है। सब कुछ होते हुए भी कुछ कमी - सी महसूस करवाता है।कभी - कभी तो उसका जिक्र छिड़ते ही प्यार की ख़ुश्बू- सी उड़ाता है। फिर अचानक से उसका नाम सुनते ही, मानो! दिल में जोरों की धड़कने- धड़काता है। रातों की इधर - उधर करवटों में सिमट - सा जाता है, जैसे रोज़ की आदतों को दर्शाता है। अचानक आंखों का बन्द होना जैसे एक नई सुबह के इंतेज़ार में ले जाता है।।

फिर धीरे - धीरे मानो! ऐसा लगने लगता, जैसे वो साथ हो अगर तो जिंदगी और भी हसीन हो जाये, उसके मिलते ही सारी ख्वाईशें दे जाये। मानो - न - मानो चेहरे का नया निखार अल्पाता है।।

फिर दोस्तों के छेड़ने पर शर्माकर मुँह छिपाना ज़ोर का लुभाता है।कभी न पसंद आने वाली बे-तुकी; बचकानी बातें भी उनकी एक समय बाद प्यारी बताता है।एक दूसरे के धर्म-को न समझते हुए भी एक दूसरे की जीवन शैली को अपनाता है।आप 'मैं' से 'हम' बन जाते, आपके बिना पता लगे ही ये आपको बताता है।उसके साथ घंटों बात करने के बाद भी लगता कि काश! थोड़ा और वक़्त मिल जाता। बस! एक आखिरी प्रश्न सबके लिए यही छोड़ जाता, कि क्या आपने भी मेहसूस किया ! पहले प्यार के पहले एहसास को ?


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