रशिया की सर्द हवाओं
रशिया की सर्द हवाओं
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शिया की सर्द हवाओं
में चलती है, रशिया की
सर्द हवाओं में बहती है,
ये ठंडी हवा दीक्षा से कुछ
बातें कहती है, कि चलो
आओ! कुछ खेल खेलते हैं,
चलो आओ! सर्द हवाओं को
झेलते हैं, कुछ तुम बर्फ़ के गोलों
सा पिघल जाना या हमें बर्फ में
गिरा जाना।
नहीं, अब मैं नहीं रुक सकती
खिड़की से यूं झांकते खुद को
सह नहीं सकती।
अब मुझे बाहर आना है,
ओढ़े उस सफेद चादर को
समेटे खुद भी श्वेत हो जाना है।
