STORYMIRROR

Shalvi Singh

Others

3  

Shalvi Singh

Others

रशिया की सर्द हवाओं

रशिया की सर्द हवाओं

1 min
181

शिया की सर्द हवाओं

में चलती है, रशिया की

सर्द हवाओं में बहती है,

ये ठंडी हवा दीक्षा से कुछ 

बातें कहती है, कि चलो

आओ! कुछ खेल खेलते हैं,

चलो आओ! सर्द हवाओं को

झेलते हैं, कुछ तुम बर्फ़ के गोलों

सा पिघल जाना या हमें बर्फ में

गिरा जाना।

नहीं, अब मैं नहीं रुक सकती

खिड़की से यूं झांकते खुद को

सह नहीं सकती।

अब मुझे बाहर आना है,

ओढ़े उस सफेद चादर को

समेटे खुद भी श्वेत हो जाना है।



Rate this content
Log in