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राजेश "बनारसी बाबू"

Romance Inspirational

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राजेश "बनारसी बाबू"

Romance Inspirational

दिव्यांग प्रिया का विवाह

दिव्यांग प्रिया का विवाह

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अभी ही हम दिल्ली से आए बैठे है

प्रिया के ही ख्याल में खोए बैठे है

कंपनी में बड़ी मुश्किल से अवकाश मिला था

शादी के लिए ना जा जाने क्यूँ मैं व्याकुल बैठा था

अकस्मात तभी दद्दा का फोन बजा था

जैसे लगा अभी कोई अनहोनी घटा था

दद्दा ने अभी ही संदेश सुनाया था

प्रिया का कार दुर्घटना बताया था अभी ही हम दिल्ली से आए बैठे है

प्रिया के ही ख्याल में खोए बैठे है

कंपनी में बड़ी मुश्किल से अवकाश मिला था

शादी के लिए ना जा जाने क्यूँ मैं व्याकुल बैठा था

अकस्मात तभी दद्दा का फोन बजा था

जैसे लगा अभी कोई अनहोनी घटा था

दद्दा ने अभी ही संदेश सुनाया था

प्रिया का कार दुर्घटना बताया था

मुझे तो लगा आज मेरा संसार लूट गया था

आज तो जैसे मैं अंदर ही अंदर बहुत टूट आया था

हवा के झोंके से अभी ग्लास फूट गया था

जैसे लगा कोई हम पे जादू टोना कर गया था

घर की सारी सजावट अब रूक गई थी

जैसे लगा अभी मेरी सांस रुक गई सी थी

आज प्रिया ने अपना दोनों पैर गवाया था

मुझे तो लगा जैसे मैंने अपना जान गवाया था

अम्मा बाबू जी ने मुझे बहुत समझाया था

दूसरे लड़की से शादी कर लो ऐसा मुझे प्रस्ताव बताया था

माँ देखो ना अब शादी का समय नजदीक आया था

नहीं बेटे मेरे घर पे जैसे लगा अभी कोई संकट आया था

शादी रद्द कर दो ऐसा माँ ने मुझे बताया था

उस दिन प्रिया का फोन भी ना जाने क्यूँ स्विच ऑफ आया था

आज मुझे भी अपने किस्मत पे बहुत रोना आया था

कुछ देर पहले वो हमसे हंसी मुस्कुराई थी

मेरे पागलपंती पे जैसे अभी ठहाका लगाई थी

मेरी दुल्हन बनोगी इस बात पे जैसे अभी खुशियां मनाई थी

घर में लड़की की

फोटो देखी जा रही थी

मेरी तो हालत जैसे खसता होती जा रही थी

मैं रोडवेज बस पकड़ने को भागा था

बस स्टैंड पर जैसे सारी रात जागा था

उत्तराखंड की सुंदर वादियां आज मन को ना भा रही थी

उसकी कही हर बात पे हमें आज आँसू आ रही थी

भीड़ में बड़ी मुश्किल से मैंने सीट पाई थी

उसकी कॉलेज संग बीती हर बात

आज हमें याद आई थी

ऑफिस में उसकी टिफिन चोरी कर खाने की बात से आज आंख से अश्क छलक आई थी

रास्ते में पल आज सदियों सा लग रहा था 

आज क्यूँ उत्तराखंड आने में क्यूँ समय लग रहा था

उत्तराखंड उखीमठ पहुंच कर मैंने प्रिया के घर का दरवाजा खटखटाया था

तभी मुझे दरवाजे पर से चीख रुदन सुनाया था

मुझे दरवाजे पे देखते ही प्रिया की माँ को बहुत रोना आया था

बेटा तुम्हारे घर से शादी के रद्द होने का अभी ही खबर आया था

मैं कुछ ना बोल कर प्रिया के कमरे में भागा था

मैंने अपनी चाँद सी प्रिया को बिन पैर के कमरे में बिस्तर पे सिसकता रोता पाया था

मुझे पाते ही प्रिया ने मुझे टूट के सीने से लगाया था

आज मैंने अपनी खूबसूरत सी चाँद को रोते हुए बेबस पाया था

राहुल मैं तेरी दुल्हन अब बन नहीं सकती।

अब मैं अपनी पांव पे चल नहीं सकती

मैं अब विकलांग हो गई हूँ तुम्हारे काबिल न रह गई हूँ

मैं तुम्हारे बिना ना रह पाऊंगी 

तुम बिन लगता मैं जैसे मर ही जाऊंगी 

विकलांगता को अपनी कमजोरी मत बनाओ

अपनी मन के ताकत को अपनी हथौड़ी बनाओ

अब मैं विवाह कर नहीं सकती 

मैं तो सात फेरे तो क्या सात कदम साथ चल नहीं चल नहीं सकती?

मैं बांहों में उठाऊंगा तुझे अपनी दुल्हन बनाऊंगा 

सात फेरे तो क्या सातों जन्म साथ निभाऊंगा! 



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