तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते
तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते
तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते
करते भी हो तो इजहार नहीं करते
कहो, क्यों पहले जैसा प्यार नहीं करते?
और करते हो तो क्यों इजहार नहीं करते?
क्यूँ जुबा पर बातें तेरी आते-आते रुक जाती है?
पहले जैसी लबों से तेरी क्यूँ फिसल ना जाती है?
पहले जैसी क्यूँ अब तेरी साँसे तेज़ नहीं चलती?
मेरी जैसी तेरी आहें अब क्यों बात नहीं करती?
क्यूँ अब तुम पहले जैसा कोई शिकवा नहीं करते?
क्यूँ छोटी-छोटी बातों पर तुम मेरे साथ नहीं लड़ते?
क्यूँ अब तेरा हँसना रोना बिन मेरे हो जाता है?
क्यूँ अब तकिया लगाकर तू बिन मेरे सो जाता है?
क्यूँ अब तेरी नज़रे मेरी राह नहीं देखा करती?
क्यूँ अब अपने ग़म तू मेरे संग बाटा नहीं करती?
क्या हमारे बीच अब वो प्रेम भाव भी रहा नहीं?
क्या मेरे मन से तेरा कोई लगाव भी रहा नहीं ?
अगर रहा है तो तुम बोलो अपने मन के द्वार को खोलो
तोड़ो सारी दीवारें तुम प्यार है मुझसे बस ये बोलो
बोलो मुझसे रूठे हो तुम मेरे सनक से टूटे हो तुम
पर मुझे पराया करके क्यों बेचैन से बैठे हो तुम
आओ दोनों फिर मिल जाए घाव है जीतने सब सील जाएँ
गांठ पड़े ना डोर में अपने एक दूजे में हम बुन जाए
भुला कर सारे शिकवे तुम दिल को अपने हलका कर लो
मैं भी तुमको अपना कर लूँ तुम भी मुझको अपना कर लो।