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Veena rani Sayal

Romance

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Veena rani Sayal

Romance

अकेलापनता उम्र

अकेलापनता उम्र

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ता उम्र लग गई  

समेट कर रखने में

पल भर भी न लगा

उसको बिखरने में


समेटने लगूं फिर 

मुमकिन नही है अब

कब सांस थम जाए 

कितने बचे हैं पल 


बिखर गई है जिंदगी

यादों का है भंवर

मझंधार में है कश्ती

नहीं है कुछ खबर


यादों का लेकर कारवां 

जीने की राह पर

हर पल को जी लेंगे

बस तेरा समझ कर


लेकर हंसी लबों पर

पी जायेंगे सारे गम

तन्हाइयों में अब तो

बस आंखें होंगी नम


कैसा है जिंदगी का

यह फलसफा सनम

न जाने अब किस मोड़ पर

हम होंगें संग-‌संग।



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