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Veena rani Sayal

Fantasy

4  

Veena rani Sayal

Fantasy

कविता

कविता

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शमां जलने लगी 

रात ढलने लगी

घड़ियां तन्हाई की 

पल-पल लम्बी लगीं

 तभी---

हर पल याद आईं

गुजरे वक्त की यादें

वो कसमें वो वायदे

वो काली घटायें

वो बारिश की बूंदें

वो चंचल हवायें

वो नदी का किनारा

वो चांदनी रातें

वो टूटते तारे

तन्हाई गुजरी यादों के सहारे


यह क्या---

शमां बुझने को है

भोर होने को है

लब कह न सके 

आंसू बह न सके

छोड़ यादों का दामन

फिर चल दिये

नये दिन में कदम

उम्मीदों के सहारे

सफर कट जायेगा

जिंदगी का यूं ही

गम में डूबी हुई

यादों के सहारे




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