कविता
कविता
चली पवन तो
डाली- पत्ता झूम -झूम लहराये
भीनी -भीनी फूल की खुशबु
जन -जन के मन भाये
मस्त हवा का हर इक झोंका
तन शीतल कर जाये
ताल के पानी की लहरों में
हलचल सी मच जाये
दिल की पतंग को
बिना डोर के दूर कहीं ले जाये
पर्वत , सागर,नदियां, झरने
पल में पार कर आये
दूर कहीं वादी में गडरिया
बैठा बंसी बजाये
हर दुःख -सुख को भूल के
धुन में मग्न दिखलाये
हरियाले खेतों में पीले
सरसों के फूल लहरायें
रंग बिरंगी तितलियां,भवंरे
फूलों पर मंडरायें
भीनी हवा का मस्त झोंका
कल्पना के पंछी को
फलक तक ले जाये
मेरा मन बहलाये।
