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Veena rani Sayal

Fantasy

3  

Veena rani Sayal

Fantasy

कविता

कविता

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     कविता झूठी थी कसमें झूठे थे वायदे टूटे कांच बनके सब सपने सुहाने अनकही ,अनसुनी सपनों की कहानी नजरों ने कह दी जुबां कह न पाई खुली किताब है यह जिंदगानी हर पन्ने पर लिखी अधूरी कहानी न हम जान पाये न तुम जान पाये कुछ तो था दरमियान हम में ख्यालों में सिमटा कल्पना का फितूर है हर जर्रे में नजर आया बिखरे सपनों का सरूर है      


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