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Veena rani Sayal

Abstract

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Veena rani Sayal

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कविता

कविता

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लिखने वाले ने लिख दी 

इक ऐसी दास्तां 

शब्द बने तीर

छलनी कागज की आत्मा

लाख करी कोशिश

जान न पाई दास्तां

लिखने वाले ने लिख दी

यह अजीब दास्तां


बचपन की स्वछंद उड़ानें 

यौवन की चौखट पर छूटीं

पनघट सूना ,गलियां सूनी

पायल की झंकार भी रुठी

लाख करी कोशिश 

जान न पाई दास्तां

उठी हूक जब सीने में

नैनों की बदरी बरस पड़ी 

 हर गुजरे वक्त के पन्नों से

अनकही दास्तां मिटने लगी

लाख करी कोशिश

जान न पाई दास्तां 

लिखने वाले ने लिख दी

अनकही दास्तां



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