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Ram Binod Kumar

Abstract Fantasy Inspirational

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Ram Binod Kumar

Abstract Fantasy Inspirational

हिम्मत मत हारना

हिम्मत मत हारना

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दुनिया तो एक कल्पवृक्ष है,

चाहो जो भी मिल जाएगा।

कामधेनु सी धरती- माता,

मनचाहा फल सदा पाएगा।


बस तुम हिम्मत मत हारना।

पूछने में कभी भी शर्माना मत,

बाधा से कभी भी घबराना मत,

काम कोई भी छोटा नहीं होता,


करने में कभी भी सकुचाना मत,

रोज-रोज किसी के घर जाना मत,

यूं ही किसी से दिल लगाना मत

मैसेज कभी किसी खास को भी,

कभी रोज-रोज कभी मत भेजना।


रोज-रोज किसी की भीआए गुड मॉर्निंग,

ऐसा न करें वह,विनयपूर्वक मना कर देना,

रोज की गुडनाईट प्रेम से फ़ना कर देना,

फोन रोज कभी किसी को,

भूल कर भी मत करना।


मैं यह नहीं कहता तुमको,बस तुम,

खो जाना सिर्फ,आपने ही आप में।

यह नहीं कहता बस केवल ही,

अपनी ही दुनिया में ही रहना।


अपनों का ध्यान भी और,

उनकी खबर भी रखना,

पर यह भी ध्यान रखना,

ऐसा कभी मत बन जाना,

उनके बिना जीना पड़े तो,

जान ही तेरी न निकल जाए।


यदि कभी लोग तोलें- बोलें,

तुझे बस अपनी जरूरतों से

फिर रोना और चिल्लाना मत

बस अकेला चलते रहने की,

हिम्मत मत कभी हारना।


मिले शाबाशी या प्रतिकार,

समभाव सदा ही तुम रहना,

सुन लेना सब की सदा कड़वी भी बातें,

पर बुरा लगे ऐसी कभी कुछ न कहना,

हर रंग की कोशिश करना,

पर अगर मिले बेरंग दुनिया,


कभी गिले-शिकवें नहीं रखना,

सदा पतझड़ में भी तुम सदा खुश रहना,

टूटे हुए पत्तों से भी अपनी बातें कहना,

संभव है वह सुनकर आपकी प्यारी बातें,

जुड़कर पेड़ से, वह भी हरी-भरी हो जाए।


या फिर तितलियों सी चंचल होकर,

खुद उड़े फिरे और इतराए - इठलाए।

कपोलों- माथे आपके पांवों से लगकर,

आपको अपनी गथा सुनाएं।


रूठे कोई तो मना ही लेना,

छोड़ देना अपना झूठा अभिमान।

मान लेना तब उनकी ही सभी बातें,

यही है आपके सच्चे प्रेम की पहचान।


चाहो तो कभी-कभी याद कर लेना,

पर फरियाद कभी न करना,

गर मिला नहीं जो मांगोगे,

फिर कष्ट और क्षोभ मिलेगा।


चाहे होगा कितना अपना मजबूत दिल,

फिर भी थोड़ा - बहुत वह जरूर हिलेगा

पर हिम्मत तुम मत कभी हारना,

आपको भी मनचाही मिल जाएगी


कमी नहीं इस भरी-पूरी दुनिया में,

सबके लिए खास-खास बनें यहां,

बस तुम अपनी पहचान ले बंदे।

यह दुनिया है कल्पवृक्ष सी ही तो,

धरती माता अपनी कामधेनु सम।


बस ! तुम कभी हिम्मत मत हारना।


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